हनुमान जी के दर्शन करने से भक्तों का दूर होता है कष्ट
जौनपुर। पौराणिक तीर्थ एवं तपस्थली अजोशी स्थित पावन महावीर धाम का इतिहास पैराणिक होने के साथ-साथ काफी पुराना है। धाम के संजय माली ने बताया कि यहां सच्चे मन और श्रद्धा के साथ मांगी गई मंनते अवश्य पूरी होती है। मंगलवार को बुढ़वा मंगल पर्व पर महाबीर हनुमान की भव्य आरती व श्रृंगार होगा। साथ पूजन- अर्चन व मेले की तैयारी पूरी हो गई है। मंदिर के संजय माली ने बताया कि इस पर्व पर पूजन-अर्चन करने वाले श्रद्धालुओं द्वारा कराही चढ़ाने व मंदिर की परिक्रमा करने पर विशेष फल मिलता है। धाम के इतिहास के बारे में बुजुर्गों ने बताया कि जहां पर इस समय भव्य मंदिर है। वहां कभी घनघोर जंगल था । भर राजाओं पर पूर्ण विजय प्राप्त करने निकले चंदेल अपनी टुकड़ी के साथ उंचनी जा रहे थे। इस स्थान पर पहुंचने पर उनका रथ रुक गया। लाख प्रयास के बाद भी घोड़े आगे नहीं बढ़े तो उनके पुरोहित ने विचार करके बताया कि यहां कोई अदृश्य शक्ति है। पुरोहित की आज्ञा से उस जगह पर खुदाई की गई तो प्रतिमा मिली। राजा आझूराय ने पूजन-अर्चन किया और मंदिर बनवाकर प्रतिमा स्थापना की बजरंग बली की कृपा से उन्हें जीत मिली।
लौटने पर उन्होंने अनुष्ठान व भंडारे का आयोजन कराया। तभी से यहां विधिवत पूजन अर्चन होने लगा। प्रतिमा में हृदय के पास एक छोटा सा निशान है। यह निशान त्रेता युग में पवन पुत्र हनुमान धवलागिरि पर्वत को लेकर अयोध्या के ऊपर से लंकापुरी जाने लगे। भरत द्वारा दूब के बाण से हनुमान पर बाण छोड़ दिया। बाण लगते ही हनुमानजी पृथ्वी पर गिर कर हे राम का जाप करते हुए मूर्छित हो गए थे। यह स्थान अजोशी धाम है। प्रतिमा में हृदय के पास जो छोटा सा निशान है। वह भरत द्वारा छोड़े गए बाण का ही निशान है। धाम में यह अजब ही संयोग है कि यहां जितने वट वृक्ष है उतने ही देवताओं का यहां वास है। महाबीर हनुमान जी के अलावा यहां गणेश जी, शेरावाली माता, राधाकृष्ण, लक्ष्मी -विष्णु, महादेव, शिवलिंग व हनुमानजी के पांच रूपो में अलग- अलग स्थान पर मूर्तियां विराजमान है। धाम में पूजन-अर्चन के लिए बने पुराने गर्भगृह में महावीर का दर्शन करने में भक्तों को समस्या होती थी। धाम के प्रधान सेवक त्रिभुवनदास रविवार से ही मंदिर की साफ-सफाई कराने में जुटे थे। मंदिर के अन्य सेवकगण उनके सहयोग में दिन-रात एक कर दिये।

Author: fastblitz24



