ड्रंक एंड ड्राइव पर नियंत्रण हो जाएगा मुश्किल, बढ़ेगी सड़क दुर्घटनायें
सरकारी ठेके से शराब खरीदने वाले की उम्र पर सुप्रीम कोर्ट का सरकार से मांगा जवाब
नई दिल्ली. शराब की होम डिलीवरी की इजाजत से आबकारी विक्रय नीति की धज्जियां उड़ जाएंगी। शराब के ग्राहकों और उपभोक्ताओं के लिए बनाए गए न्यूनतम उम्र के नियम का पालन असंभव हो जाएगा। जिससे ड्रंक एंड ड्राइव का चलन बढ़ेगा और सड़क दुर्घटनाओं पर नियंत्रण मुश्किल हो जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को इस याचिका पर सुनवाई की। कोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार से जवाब मांगा है। दरअसल, याचिका में कहा गया है कि शराब खरीदने के लिए जाने वाले लोगों की उम्र की सीमा तय है और इसलिए इससे जुड़े नियम सख्ती से लागू होने चाहिए। याचिका में शराब की दुकानों में उम्र की जांच के लिए एक ठोस नीति भी बनाई जानी चाहिए।
याचिका में कहा गया है कि देश के अलग-अलग राज्यों की आबकारी नीति में उम्र को लेकर कानून हैं। इसके तहत एक तय उम्र तक लोगों का शराब लेना अवैध है। लेकिन शराब की दुकानों में इसे लेने जाने वालों की उम्र की जांच के लिए ठोस प्रणाली नहीं है।
जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथ की बेंच के सामने पेश हुई इस याचिका में शराब की घर पर डिलीवरी का भी विरोध किया गया है। इसमें कहा गया है कि इससे कम उम्र के लोगों में शराब का उपभोग करने की आदत में बढ़ोतरी होगी। एनजीओ कम्युनिटी अगेंस्ट ड्रंकेन ड्राइविंग के वकील ने दलील दी कि शराब की दुकानों, बार, पब, आदि में लोगों की उम्र की जांच के लिए प्रणाली या व्यवस्था नहीं है। इसलिए एक मजबूत नीति शराब पीकर गाड़ी चलाने की घटनाओं को कम करेगी और कम उम्र के लोगों को शराब की पहुंच से दूर रखेगी।
याचिकाकर्ता ने कहा कि जो लोग नाबालिगों को शराब बेचते हैं, शराब परोसते हैं या मुहैया कराते हैं, उन पर 50,000 रुपये का जुर्माना या तीन महीने की जेल या दोनों के प्रावधान होने चाहिए। इस याचिका में केंद्र सरकार, सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को उत्तरदाता बनाने की मांग की गई है।
याचिकाकर्ताओं की मांग पर बेंच ने कहा कि वह इस याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी कर जवाब तलब करेगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘‘नोटिस प्रतिवादी संख्या एक (भारत संघ) तक सीमित रखा जाए।’’ मामले की अगली सुनवाई तीन हफ्ते बाद होगी।