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70 सालों तक गलत पढ़ाए गए शुक्ल 

आचार्य रामचंद्र शुक्ल के लेख के नाम पर पढ़ाया गया अनुवाद

 

वाराणसीएक चौंकाने वाले खुलासे में यह तथ्य सामने आया है कि माध्यमिक शिक्षा परिषद उत्तर प्रदेश बोर्ड के छात्रों को पिछले 70 वर्षों से जिन रचनाओं को आचार्य रामचंद्र शुक्ल के नाम पर पढ़ाया गया दरअसल वह उनकी अनुवादित रचनाएं थीं। नागरी प्रचारिणी सभा के दस्तावेजों की जांच के बाद यह सच्चाई सामने आई है

 

आठवीं और दसवीं कक्षा की हिंदी पाठ्यपुस्तकों में शामिल ‘आत्मनिर्भरता’ और ‘मित्रता’ शीर्षक वाले निबंध, जिन्हें आचार्य शुक्ल की मौलिक रचना माना जाता था, वास्तव में अंग्रेजी लेखक थेडोर थॉर्टन मंगेर की रचना ‘प्लेन लिविंग एंड हाई थिंकिंग’ के अनुवाद थे।

नागरी प्रचारिणी सभा के प्रधानमंत्री व्योमेश शुक्ल ने बताया कि यह एक गंभीर चूक है। इतने लंबे समय तक कैसे इस भूल को नहीं सुधारा गया, यह जांच का विषय है। उन्होंने कहा कि यह निबंध मूल रूप से अंग्रेजी में लिखा गया था और बाद में उसका हिंदी अनुवाद किया गया।

यह खुलासा शिक्षा जगत में हलचल मचा सकता है और पाठ्यक्रम तैयार करने की प्रक्रिया पर सवाल उठा सकता है। साथ ही, यह आचार्य शुक्ल की प्रतिष्ठा पर भी स्थायी रूप से प्रभाव डाल सकता है।

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Author: fastblitz24

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