डॉ. अवनीश ने 300 से अधिक घुटनों का प्रत्यारोपण कर बनाया कीर्तिमान,
महानगरों से निराश मरीजों को मिली नई उम्मीद
**जौनपुर:* जनपद का प्रतिष्ठित यश हॉस्पिटल एंड ट्रामा सेंटर इन दिनों चर्चा का केंद्र बना हुआ है. अस्थि रोगों विशेष कर सफल घटना प्रतिरोपण में इस चिकित्सालय के निदेशक एवं प्रख्यात हड्डी एवं जोड़ रोग विशेषज्ञ डॉ. अवनीश कुमार सिंह ने जनपद में 300 से अधिक घुटनों का सफल प्रत्यारोपण कर एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है। यह कीर्तिमान न केवल उनकी व्यावसायिक विशेषज्ञता और सफल चिकित्सा की कहानी कहता है जनमानस में उनके प्रति विश्वास का पैमाना बना हुआ है.
डॉ. अवनीश सिंह की सफलता का ही नतीजा है कि महानगरों वाराणसी और लखनऊ जैसे बड़े शहरों से निराश होकर आने वाले मरीजों को भी यहाँ नई उम्मीद मिलती है। ऑपरेशन के बाद मरीजों के चेहरे पर मुस्कान देखना आम बात है।
एक विशेष मामला
सुल्तानपुर की 65 वर्षीय रजनी श्रीवास्तव पिछले छह सालों से घुटनों के दर्द के कारण चल-फिर नहीं पा रही थीं। उन्होंने सुल्तानपुर, भदोही, मिर्जापुर, वाराणसी और लखनऊ के कई नामी चिकित्सकों से इलाज कराया, लेकिन उन्हें कहीं से भी संतोषजनक परिणाम नहीं मिला। अंततः, किसी के कहने पर उन्होंने जौनपुर के टीडी कॉलेज रोड स्थित यश हॉस्पिटल एंड ट्रामा सेंटर में डॉ. अवनीश कुमार सिंह से संपर्क किया
डॉ अवनीश ने उन्हें पूरी तरह संतुष्ट किया और उनके एक घुटने का प्रत्यारोपण किया। जब प्रत्यारोपण सफल रहा और रजनी जी को आराम मिला, तो उन्होंने 12 दिसंबर को दूसरे घुटने का भी प्रत्यारोपण करा लिया। एक सप्ताह बाद उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई और अब वह पूरी तरह स्वस्थ हैं।
रजनी जी ने बताया कि उनका सुल्तानपुर से जौनपुर आना सफल रहा और वाराणसी-लखनऊ से निराश होने के बाद उन्हें यहाँ नई जिंदगी मिली है। उन्होंने यह भी कहा कि वहाँ के मरीजों को भी यहीं आकर प्रत्यारोपण कराना चाहिए।
घुटना प्रतिरोपण और सफल: डॉ. अवनीश
डॉ. अवनीश सिंह ने बताया कि आजकल घुटने का प्रत्यारोपण करना बहुत ही आसान हो गया है। घुटना खराब होने के बाद मरीज का चलना-फिरना बंद हो जाता है और प्रत्यारोपण न कराने पर बोन क्वालिटी भी खराब हो जाती है। इसलिए समय रहते किसी अच्छे डॉक्टर को दिखाना चाहिए, क्योंकि इसका प्रत्यारोपण ही एकमात्र विकल्प है। 50 वर्ष से अधिक उम्र का कोई भी महिला या पुरुष प्रत्यारोपण करा सकता है।