**जौनपुर:** “शिव केवल नाम के ही नहीं, बल्कि काम के भी गुरु हैं। उनके औढ़रदानी स्वरूप से धन, धान्य, संतान, सम्पदा आदि प्राप्त करने का व्यापक प्रचलन है, तो उनके गुरु स्वरूप से ज्ञान भी क्यों नहीं प्राप्त किया जाए? ज्ञान के अभाव में किसी भी संपत्ति या सम्पदा का उपयोग घातक हो सकता है।” यह विचार दीदी बरखा आनंद ने जौनपुर के कुत्तूपुर क्षेत्र में आयोजित विराट शिव गुरु महोत्सव में मुख्य वक्ता के रूप में व्यक्त किए।
यह आयोजन रविवार को वैश्विक शिव शिष्य परिवार द्वारा आयोजित किया गया था, जिसमें हजारों की संख्या में महिला, पुरुष, युवा और वृद्ध शामिल हुए।
शिव शिष्य साहब हरीन्द्रानन्द जी के संदेश को लेकर जौनपुर आईं दीदी बरखा आनंद ने कहा कि शिव का शिष्य होने में केवल तीन सूत्र सहायक हैं:
1. मन ही मन अपने गुरु शिव से यह कहना कि ‘हे शिव, आप मेरे गुरु हैं, मैं आपका शिष्य हूं, मुझ शिष्य पर दया कर दीजिए।’
2. सबको सुनाना और समझाना कि शिव गुरु हैं, ताकि अन्य लोग भी शिव को अपना गुरु बनाएं।
3. मन ही मन अपने गुरु शिव को प्रणाम करना। यदि इच्छा हो तो ‘नम: शिवाय’ मंत्र से भी प्रणाम किया जा सकता है।
इस महोत्सव में दीदी बरखा आनंद के विचारों ने उपस्थित श्रद्धालुओं को शिव के गुरु स्वरूप और ज्ञान के महत्व के बारे में गहराई से अवगत कराया।