बेनामी संपत्ति संशोधन अधिनियम
जौनपुर: डॉ. गीतिका सिंह को “राष्ट्रीय सुरक्षा और भारतीय अर्थव्यवस्था पर बेनामी लेन-देन का प्रभाव” – ‘बेनामी संपत्ति (संशोधन) अधिनियम 2016 का विश्लेषण’ विषय पर किए गए शोध कार्य के लिए विधि (लॉ) में पीएचडी (डॉक्टर ऑफ फिलॉसफी इन लॉ) की उपाधि प्रदान की गई है। उन्होंने यह उपाधि रवींद्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय, रायसेन, मध्य प्रदेश से डॉ. नीलेश शर्मा के मार्गदर्शन में प्राप्त की।
इस संबंध में डॉ. गीतिका सिंह बताया कि उनके शोध का मुख्य विषय बेनामी संपत्ति (संशोधन) अधिनियम 2016 का विश्लेषण करना था। इस शोध का उद्देश्य यह पता लगाना था कि जब काले धन और बेनामी संपत्ति को रोकने के लिए पहले से ही कई कानून मौजूद हैं, तो इस कानून की आवश्यकता क्यों पड़ी और यह अन्य प्रावधानों से किस प्रकार भिन्न है? शोध में यह भी विश्लेषण किया गया कि क्या यह कानून अपने उद्देश्यों को प्राप्त कर पाएगा, इसे प्रभावी बनाने में किन बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है, और क्या कानून को लागू करने वाली एजेंसियां मानवाधिकारों का उल्लंघन किए बिना इसका प्रभावी ढंग से उपयोग कर पाएंगी?
गीतिका का परिचय:
पेशे से वकील डॉ. गीतिका सिंह, जलालपुर के छतारी गांव के डॉ. रविंद्र नाथ सिंह की पुत्री हैं, जो भूतपूर्व वायु सेना अधिकारी और आयकर विभाग में आयकर अधिकारी के पद पर रह चुके हैं। उनके पति कृष्ण कुमार सिंह भारतीय नौसेना में लेफ्टिनेंट कमांडर के पद पर सेवारत हैं |
डॉ. गीतिका सिंह को यह शोध पूरा करने में लगभग 4 वर्ष लगे। यह शोध उन शोधार्थियों के लिए एक उपयोगी संसाधन होगा जो इस क्षेत्र में शोध करने के इच्छुक हैं। यह नवयुवकों को भी प्रेरित करेगा कि वे अपने सामाजिक और पारिवारिक दायित्वों को पूरा करते हुए भी शोध कार्य कर सकते हैं।
कानून के क्षेत्र में ऐसे शोध की आवश्यकता इसलिए भी है क्योंकि बेनामी संपत्ति अधिनियम 1988 में बन तो गया था, लेकिन नियमावली न बन पाने के कारण यह 2016 तक लागू नहीं हो पाया था। 2016 में संशोधन के बाद इसे लागू किया गया।
डॉ. गीतिका सिंह को इस उपलब्धि पर शुभचिंतकों की ओर से हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई मिल रही हैं।