जौनपुर:जौनपुर में प्रतिबंधित चाइनीज मांझे की बिक्री पर पूर्ण रोक लगाने की मांग को लेकर अधिवक्ताओं और युवाओं ने जिला प्रशासन से कड़ी कार्रवाई की मांग की है। दीवानी न्यायालय के अधिवक्ता विकास तिवारी के नेतृत्व में युवाओं के एक समूह ने जिलाधिकारी और अपर पुलिस अधीक्षक जौनपुर से मुलाकात कर चाइनीज मांझा बेचने वालों के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का मुकदमा दर्ज करने की मांग की।
अधिवक्ता विकास तिवारी का कहना:
अधिवक्ता विकास तिवारी ने प्रशासन और पुलिस की लापरवाही पर सवाल उठाते हुए कहा कि जौनपुर में प्रतिबंध के बावजूद चाइनीज मांझा, नायलॉन धागा, सिंथेटिक लेपित धागा और गैर-बायोडिग्रेडेबल मांझे खुलेआम बेचे जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि शहर का शायद ही कोई ऐसा बाजार होगा जहाँ ये प्रतिबंधित चीजें धड़ल्ले से न बिक रही हों, लेकिन प्रशासन इस पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है। इसके चलते आए दिन किसी न किसी व्यक्ति का मांझे से गला कट रहा है और लोग दहशत में जी रहे हैं। उन्होंने कहा कि यदि इन प्रतिबंधित धागों से गला कटने के कारण किसी की मृत्यु होती है तो उस मौत के जिम्मेदार प्रतिबंधित मांझा बेचने वाले ही होंगे।
उच्च न्यायालय के अधिवक्ता अतुल सिंह की कानूनी व्याख्या:
उच्च न्यायालय के अधिवक्ता अतुल सिंह ने राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT), नई दिल्ली द्वारा जारी किए गए आदेशों का हवाला देते हुए कहा कि जौनपुर के प्रशासनिक अधिकारी NGT के आदेशों को लागू करने में पूरी तरह विफल रहे हैं। उन्होंने बताया कि NGT ने मूल आवेदन संख्या 384 वर्ष 2016 में 11 जुलाई 2017 को दिए अपने निर्णय में नायलॉन या किसी भी सिंथेटिक सामग्री से बने मांझे पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया था। उन्होंने NGT के छह-सूत्रीय निर्देशों का भी उल्लेख किया, जिनमें सिंथेटिक मांझे के निर्माण, बिक्री, भंडारण, खरीद और उपयोग पर रोक लगाने के साथ-साथ दोषियों के खिलाफ पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986; पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960; वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 और भारतीय दंड संहिता के तहत कार्रवाई करने के निर्देश शामिल हैं।