अम्बेडकर नगर: बुधवार से शुरू हुई श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन, कथाकार डॉ. कौशलेंद्र महराज ने श्रोताओं को कथा का संक्षिप्त सार बताया। ग्राम अतरौरा में आयोजित इस कथा के दौरान उन्होंने भागवत के महत्व और उसकी अमृतमयी वाणी के बारे में विस्तार से जानकारी दी।
कथा की शुरुआत में डॉ. कौशलेंद्र महराज ने कहा कि भागवत वह उत्तम अवसाद है, जो हर प्रकार के अवरोध को समाप्त करता है। भागवत का आश्रय लेने से कोई भी व्यक्ति दुखी नहीं होता। उन्होंने कहा कि भगवान शिव ने शुकदेव के रूप में इस संसार को भागवत सुनाई है, और यही भागवत हर किसी के जीवन में सुख और शांति लाती है।
कथा के दौरान डॉ. महराज ने कर्मों का सार समझाते हुए कहा कि अच्छे और बुरे कर्मों का फल हमें अवश्य मिलता है। उन्होंने भीष्म पितामह के उदाहरण से बताया कि कर्म का फल सभी को भुगतना पड़ता है। उन्होंने कहा, “भीष्म पितामह 6 महीने तक वाणों की शैय्या पर लेटे रहे, और भगवान कृष्ण ने उन्हें बताया कि उनके पिछले जन्म के कर्मों का फल ही यह कष्ट था।”
आगे डॉ. महराज ने कहा कि भागवत एक भाव प्रधान और भक्ति प्रधान ग्रंथ है, और भगवान को केवल प्रेम चाहिए। उन्होंने बताया कि भागवत कथा सुनने से दुख और पाप मिट जाते हैं और जीवन में सुख और शांति की प्राप्ति होती है। उन्होंने यह भी कहा कि कलयुग में भागवत कथा ही सबसे बड़ा अमृत है और सभी दुखों का इलाज है।
कौशलेंद्र महराज ने श्रोताओं से यह अपील की कि वे जब भी अवसर मिले, भागवत कथा श्रवण करें और भगवान के भजन में लीन रहें। उन्होंने यह भी बताया कि जब हम दूसरों की चिंता करते हैं और सेवा करते हैं, तब भगवान हमसे अधिक प्रसन्न होते हैं। साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि जो सक्षम हैं, उन्हें दान, धर्म और सेवा में भाग लेना चाहिए।
कथा के दौरान श्रद्धालु ने बड़े आनंद से कथा का श्रवण किया। मुख्य यज्ञाचार्य पंडित अतुल शास्त्री द्वारा विधिवत कर्मकांड संपन्न कराया गया।