जौनपुर : वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय स्थित प्रो. राजेंद्र सिंह (रज्जू भैया) भौतिकीय विज्ञान अध्ययन एवं शोध संस्थान द्वारा रज्जू भैया की जन्मजयंती की पूर्व संध्या पर पुष्पांजलि कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में संस्थान के निदेशक प्रो. प्रमोद कुमार यादव ने रज्जू भैया के जीवन और योगदान पर विस्तार से प्रकाश डाला।
प्रो. प्रमोद कुमार यादव ने कहा कि प्रो. राजेंद्र सिंह सरलता, सहजता और आत्मीयता के प्रतीक थे, और इसी कारण उन्हें लोग प्यार से रज्जू भैया कहते थे। उन्होंने रज्जू भैया के जीवन के विभिन्न पहलुओं को बताते हुए उनकी मितव्ययिता और समर्पण की सराहना की।
रज्जू भैया, जिनका जन्म 1926 में हुआ था, प्रयागराज विश्वविद्यालय में भौतिक शास्त्र के प्रोफेसर थे। 1966 में उन्होंने विश्वविद्यालय के भौतिक शास्त्र विभाग के अध्यक्ष पद से त्यागपत्र दिया और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक के रूप में संघ कार्य में जुट गए। उनका संघ के प्रति समर्पण और कार्य के प्रति निष्ठा उन्हें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का चौथा सरसंघचालक बनने तक ले गई। उन्होंने शिक्षक, स्वयंसेवक, प्रचारक और सरसंघचालक के रूप में महती जिम्मेदारियों को सहजता से निभाया।
इस कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. वंदना सिंह की प्रेरणा से संस्थान उत्तरोत्तर प्रगति कर रहा है और शोध के क्षेत्र में देश और विदेश में महत्वपूर्ण स्थान बना रहा है। रज्जू भैया की स्मृति में 2018 में वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय परिसर में प्रो. राजेंद्र सिंह (रज्जू भैया) भौतिकीय विज्ञान अध्ययन एवं शोध संस्थान की स्थापना की गई थी।
कार्यक्रम का संयोजन डॉ. नितेश जायसवाल ने किया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के आचार्य प्रो. मिथिलेश सिंह, प्रो. गिरधर मिश्र, प्रो. प्रमोद कुमार, डॉ. मिथिलेश यादव, डॉ. नीरज अवस्थी, डॉ. श्याम कन्हैया, डॉ. शशिकांत, डॉ. आलोक वर्मा, डॉ. आशीष वर्मा, डॉ. दिनेश वर्मा, डॉ. सुजीत चौरसिया, डॉ. रामांशु, डॉ. दीपक मौर्या, संदीप वर्मा, सौरभ सिंह और अन्य शिक्षक और छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।
रज्जू भैया का जीवन एक प्रेरणा है जो हर नागरिक को समाज और राष्ट्र के लिए अपने कर्तव्यों का पालन करने की प्रेरणा देता है। उनके योगदान से ना केवल शिक्षा के क्षेत्र में बल्कि राष्ट्रीय एकता और समाजसेवा में भी महत्वपूर्ण बदलाव आए। उनके जीवन को याद करते हुए हमें उनके समर्पण और सेवा भाव को अपनाने की आवश्यकता है।