अयोध्या: मिल्कीपुर विधानसभा उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी चंद्रभानु पासवान ने बड़ी जीत दर्ज की है, जबकि सांसद अवधेश प्रसाद के बेटे अजीत प्रसाद को करारी हार का सामना करना पड़ा। यह सीट अवधेश प्रसाद के सांसद बनने के बाद इस्तीफे के कारण खाली हुई थी।
जानकारी के अनुसार, अवधेश प्रसाद को अपने ही बूथ पर विपक्षी उम्मीदवार से कम वोट मिले, जो सपा के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है।

उपचुनावों में आमतौर पर वोटिंग प्रतिशत कम रहता है, लेकिन मिल्कीपुर में इस बार रिकॉर्ड तोड़ मतदान हुआ। 1967 में इस सीट के अस्तित्व में आने के बाद अब तक हुए 15 चुनावों में यह सबसे अधिक मतदान दर्ज किया गया। 2022 के आम चुनाव की तुलना में इस बार 5% अधिक वोटिंग हुई, जिससे भाजपा की उम्मीदें पहले से ही मजबूत हो गई थीं।
राजकीय इंटर कॉलेज, अयोध्या में सुबह 8 बजे से मतगणना शुरू हुई। सुरक्षा के लिए पैरामिलिट्री बलों की तैनाती की गई थी। नियमानुसार, पहले पोस्टल बैलेट और घर पर मतदान की सुविधा वाले बैलेट पेपर गिने गए। साथ ही, सर्विस वोटरों से प्राप्त इलेक्ट्रॉनिकली ट्रांसमिटेड पोस्टल बैलेट सिस्टम (ETPBS) की स्कैनिंग भी शुरू की गई।
मध्यान्ह तक चली गिनती में, 30वें राउंड में भाजपा प्रत्याशी चंद्रभानु पासवान को निर्णायक बढ़त मिल गई। अंततः 66,000 वोटों के बड़े अंतर से उन्हें विजयी घोषित किया गया।
जैसे ही भाजपा की बढ़त की खबर आई, बीजेपी कार्यालय में जश्न का माहौल बन गया। कार्यकर्ताओं ने ढोल-नगाड़ों की धुन पर नाच-गाने के साथ जश्न मनाया और चंद्रभानु पासवान को फूल-मालाओं से लाद दिया। पार्टी कार्यालय पर गुलाल और रंगों की बौछार शुरू हो गई, जिससे माहौल पूरी तरह से जीत के जश्न में डूब गया।
शुरुआती पोस्टल बैलेट की गिनती में ही समाजवादी पार्टी पिछड़ने लगी थी, जिससे संकेत मिलने लगे थे कि मुकाबला एकतरफा हो सकता है। गिनती के हर राउंड में भाजपा उम्मीदवार की बढ़त बढ़ती चली गई और आखिरकार चंद्रभानु पासवान ने एकतरफा जीत दर्ज कर ली।
इस ऐतिहासिक जीत के बाद, भाजपा ने यह साबित कर दिया है कि अयोध्या की राजनीति में उनकी पकड़ और मजबूत हो रही है। वहीं, सपा के लिए यह हार किसी बड़े झटके से कम नहीं है, खासकर तब, जब यह सीट उनके वरिष्ठ नेता अवधेश प्रसाद के नाम से जुड़ी रही है।

Author: fastblitz24



