जौनपुर – महाराजगंज स्थित करशूल नाथ धाम में महाशिवरात्रि के अवसर पर भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी। जिला मुख्यालय से लगभग 50 किलोमीटर दूर पश्चिम-दक्षिण दिशा में सई नदी के किनारे स्थित इस प्राचीन धाम का इतिहास बहुत पुराना है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान शिव पार्वती के साथ भ्रमण करते हुए यहां आए थे और असुरों का वध किया था। इस क्षेत्र में महिषासुर और भैंसासुर का वध स्थल है। जहां उन्होंने असुरों का वध किया, उसी का नाम करशूल नाथ के रूप में माना जाता है। महादेव की मूर्ति को स्वयंभू माना जाता है।
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किंवदंती के अनुसार, किसी बड़े व्यवसायी ने स्वप्न के आधार पर शिवलिंग की खोज की और मंदिर का निर्माण कराया। मंदिर परिसर में एक विशाल कुआं भी है, जिस पर कुछ लिखा गया है।
इसके अलावा, गौरीशंकर धाम, हॉललिया मंदिर, डियावा महादेव, नगर क्षेत्र में रोडवेज परिसर में महादेव मंदिर, बारीनाथ बगीचा में शिव मंदिर, बरूआ में सारनाथ मंदिर, बक्शा में वर्ग महादेव मंदिर और केराकत में गोमतेश्वर महादेव मंदिर में भी श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी।
दो दशक से धाम के बगल में नागा संतों की गोमती जीवात्मा ने स्लीव बनाई, जिससे समर्थ लोग यहां आते थे। पहले शाम के समय आने-जाने में कुछ दिक्कतें होती थीं, पर आज वहां रात में आने-जाने में कोई दिक्कत नहीं है। आश्रम में समय-समय पर धार्मिक अनुष्ठान होते रहते हैं।
मंदिर के बगल में सुरेंद्रनाथ द्विवेदी की कुटिया है, जो यहां से पढ़े-बढ़े और अंतर्ध्यान हुए। मंदिर में हर समय ज्योति जलती रहती है। सोमवार और शनिवार को यहां भक्तों की भारी भीड़ रहती है। मान्यता है कि भक्तों की मनोकामना पूरी होती है। यहां के देव महादेव के दर्शन से लोगों के कष्टों का निवारण होता है। जिले के जनप्रतिनिधियों ने धाम के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। सांसद श्याम सिंह यादव और विधायक रमेश चंद्र मिश्र के प्रयासों की सराहना क्षेत्र में है।
राजमाव पद्मश्री गयन्दा फर विलासी सोनयांडेय भी कुलपति भी सुरकि राजा में परिवार दोन निवासी जका टर यादव विजमाया यूपी विधान में नेतृत्व किया तो बकुर, कृपार्थ का सिंह महाराष्ट्र में गृह ( का पद सुशोभित किया है। उक्त भागना गण इसी क्षेत्र के विध श्री पे कर अधिक के दर्याक क्षेत्र कमी अपनी अपने क्षेत्रा में मागे बढ़ रहे है। काशी काथलानाथ की जयकारा य चारों ओर गुण है सा में दो बग दर्शन को भालुओ का अपार भीड़ उमड़ती है।
“आज तक कोई समझ नहीं सका है। कालान्तर में वहाँ संस्कृत पाठशाला खोला गया जो आज तक चल रहा है। जवाहइ कालेज के अधीन उक्त पाठशाला का संचालन हो रहा है। सई नदी जो हरदोई जनपद से निकला है और तट पर कई जग मिलते हैं
मंदिर के बगल में सुरेंद्रनाथ द्विवेदी की कुटिया है जो यहां से पढ़े-बढ़े और अंतर्ध्यान हुए। मंदिर में हर समय ज्योति जलती जाती है। सोमवार और शनिवार को भक्तों की भारी भीड़ रहती है। मान्यता है कि भक्तों की मनोकामना पूरी होती है। यहां के देव महादेव के दर्शन से लोगों के कष्टों का निवारण होता है। जिले के जनप्रतिनिधियों ने धाम के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। सांसद श्याम सिंह यादव और विधायक रमेश चंद्र मिश्र के प्रयासों की सराहना क्षेत्र में है।
काशी करशूल नाथ धाम पर शीश झुकावे ले तुभ राजन के शिरा तह यह शिक्षा है। पुर निकासी गढ़ तहय को को द्रोणी कल का।
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Author: fastblitz24
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