मंडी: अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर, हम आपको एक ऐसी महिला की कहानी बताने जा रहे हैं, जिन्होंने अपनी मेहनत और लगन से अपनी गरीब मां के सपनों को साकार किया। यह कहानी है कांगड़ा जिले के पालमपुर नगर निगम के वार्ड लोहना की रहने वाली और वर्तमान में सरदार पटेल यूनिवर्सिटी मंडी में असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. शिवान खान की।
शिवान जब महज पांच महीने की थीं, तब उनके पिता उनकी मां को छोड़कर चले गए। उनकी मां बंसीरा पर दो बेटियों की परवरिश की जिम्मेदारी आ गई। पालमपुर में कुंज बिहारी लाल बुटेल ने शिवान की मां को लोहना गांव में रहने के लिए एक छोटी सी जगह दी। अनपढ़ होने के बावजूद बंसीरा ने हार नहीं मानी और बेटियों की पढ़ाई के लिए लोन लेकर गाय खरीदी और दूध बेचकर दोनों बच्चियों को पढ़ाया।

बंसीरा अपनी बेटियों को हमेशा यही सिखाती थीं कि घर की गरीबी पढ़ाई से ही दूर हो सकती है। जब शिवान तीसरी कक्षा में पहुंचीं, तो उनकी मां ने उन्हें पड़ोस के स्कूल से निकालकर पालमपुर के तीन किलोमीटर दूर एक स्कूल में दाखिला करवा दिया, ताकि उनकी बेटी दुनिया को जान सके। पांचवीं के बाद शिवान का दाखिला नवोदय स्कूल पपरोला में हो गया। इस खुशी में स्कूल की शिक्षिका कौशल्या राणा ने उन्हें एक हजार रुपये प्रोत्साहन के रूप में दिए।
शिवान बताती हैं कि वह टॉपर थीं, इसलिए उन्हें स्कॉलरशिप मिलने लगी। घर की आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण उनकी बड़ी बहन शम्मी अख्तर को ग्रेजुएशन के बाद पढ़ाई छोड़नी पड़ी।
शिवान ने एमकॉम की पढ़ाई पूरी करने के बाद क्लर्क की नौकरी ठुकरा दी और एमफिल में दाखिला लिया। उन्होंने खुद ट्यूशन पढ़ाकर अपनी पढ़ाई का खर्च उठाया। एचपीयू शिमला में प्रो. देवेंद्र शर्मा ने उनकी प्रतिभा को पहचाना और उन्हें करियर संबंधी टिप्स दिए। बाद में शिवान ने पीएचडी की पढ़ाई पूरी की और 2022 से एसपीयू मंडी में असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में काम कर रही हैं।
शिवान बताती हैं कि उन्होंने अपनी मां से परिस्थितियों से लड़ना सीखा। वह हमेशा अपनी मां के संघर्ष को याद करती हैं। 2022 में जब उन्हें नौकरी का मेल आया, तो उनकी मां रात भर खुशी से सो नहीं पाईं।

Author: fastblitz24



