हजारीबाग (झारखंड): जैसे-जैसे गर्मी का प्रकोप बढ़ता है, वैसे ही इसका असर इंसानों के साथ-साथ पशुओं पर भी देखने को मिलता है। खासकर दूध देने वाले पशु जैसे गाय और भैंस इस मौसम में कम चारा खाने लगते हैं, जिससे उनका दूध उत्पादन घट जाता है। यह स्थिति पशुपालकों के लिए चिंता का विषय बन जाती है। इस समस्या के समाधान को लेकर पशु विशेषज्ञों ने विशेष उपाय बताए हैं, जिनका पालन कर पशुपालक गर्मियों में भी अपने पशुओं को स्वस्थ रख सकते हैं।
राजकीय पशु चिकित्सालय, हजारीबाग में कार्यरत वरिष्ठ पशु चिकित्सक डॉ. मुकेश कुमार सिन्हा (BVSC, रांची वेटनरी कॉलेज; 33 वर्षों का अनुभव) बताते हैं कि गर्मी के मौसम में पशुओं का शरीर अल्कली (क्षारीय तत्व) अधिक मात्रा में खो देता है। यह मुख्य रूप से अधिक लार बनने के कारण होता है। जब लार के माध्यम से अल्कली शरीर से बाहर निकलता है, तो शरीर में एसिड की मात्रा बढ़ जाती है और पीएच असंतुलन उत्पन्न हो जाता है।

डॉ. सिन्हा बताते हैं कि आमतौर पर पशुओं के शरीर का पीएच स्तर 7.2 से 7.4 के बीच होना चाहिए। जब यह स्तर बिगड़ता है, तो पशुओं की भूख घटती है, उनका पेट फूला हुआ लगता है और पाचन क्रिया कमजोर हो जाती है। इससे पशु तनाव की स्थिति में चले जाते हैं और कई बार बीमार भी हो सकते हैं।
इस समस्या से निपटने के लिए डॉ. सिन्हा पशुपालकों को सलाह देते हैं कि वे अपने पशुओं को सप्ताह में दो बार मीठे सोडे (बेकिंग सोडा) का पानी पिलाएं। इससे पशु का पीएच स्तर संतुलित बना रहता है और भूख-पाचन की समस्या नहीं होती।
पहली बार प्रयोग कर रहे हैं तो 5 से 10 ग्राम सोडा पर्याप्त है।
यदि पहले से प्रयोग किया जा रहा है, तो 20 से 25 ग्राम तक की मात्रा दी जा सकती है।
यह उपाय न केवल पशुओं की सेहत सुधारता है, बल्कि दूध उत्पादन को भी बनाए रखता है।
निष्कर्ष: गर्मियों में पशुपालन को लेकर सतर्कता बरतना आवश्यक है। छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखकर पशुओं को स्वस्थ रखा जा सकता है और आर्थिक नुकसान से भी बचा जा सकता है।

Author: fastblitz24



