जौनपुर। वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के पर्यावरण विज्ञान विभाग द्वारा जल संचयन जन भागीदारी कार्यक्रम के अंतर्गत ‘कोलवासरी प्रवाह’ विषय पर एक विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गया। इस अवसर पर मुख्य वक्ता के रूप में इलाहाबाद विश्वविद्यालय, प्रयागराज से सीएमपी पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज के डॉ. विनय कुमार सिंह उपस्थित रहे।
डॉ. सिंह ने अपने वक्तव्य में कहा कि आज की आवश्यकता है कि सतही जल स्रोतों (Surface Water Bodies) का संरक्षण और सतत प्रबंधन सुनिश्चित किया जाए। उन्होंने कोलवासरी प्रक्रिया पर विस्तार से चर्चा करते हुए बताया कि कोल को साफ करने के दौरान जल का अत्यधिक दुरुपयोग किया जाता है, जिससे पीने योग्य स्वच्छ जल की भारी हानि होती है।

उन्होंने यह भी कहा कि कोल की धुलाई में प्रयुक्त जल में उपस्थित हेवी मेटल्स (भारी धातुएं) अगर उपचारित किए बिना नदियों में प्रवाहित किए जाते हैं, तो ये न केवल नदी के जलीय जीवों के प्रजनन को प्रभावित करते हैं, बल्कि मानव स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं, क्योंकि यही जलीय जीव अंततः मानव भोजन का हिस्सा बनते हैं।
प्रोफेसर राजेश शर्मा, विज्ञान संकायाध्यक्ष, ने इस अवसर पर कहा कि कोलवासरी प्रक्रिया में उपस्थित हेवी मेटल्स को माइक्रोबियल तकनीक के माध्यम से हटाने पर जोर दिया जाना चाहिए ताकि जल प्रदूषण पर नियंत्रण पाया जा सके।
कार्यक्रम का संचालन पर्यावरण विज्ञान विभाग की छात्रा वर्षा यादव ने किया और छात्रा अंकिता द्वारा धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया गया। कार्यक्रम में जल संचयन जन भागीदारी के नोडल अधिकारी एवं पर्यावरण विज्ञान विभागाध्यक्ष डॉ. विवेक कुमार पाण्डेय ने विषय प्रवेश करते हुए अतिथियों का स्वागत किया।
इस शैक्षणिक कार्यक्रम में स्वच्छ एवं शुद्ध जल के संरक्षण, कोलवासरी जल प्रबंधन और पर्यावरणीय चेतना को लेकर सकारात्मक संवाद हुआ, जिससे छात्रों को जागरूकता के साथ-साथ समाधान आधारित दृष्टिकोण भी प्राप्त हुआ।

Author: fastblitz24



