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अभूतपूर्व जनआंदोलन के आगे झुकी उत्तर प्रदेश सरकार: सरकारी स्कूल मर्जर नीति पर वापस जाने को मजबूर

लखनऊउत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 27,000 से अधिक सरकारी स्कूलों के मर्जर और बंदी की प्रस्तावित नीति के खिलाफ प्रदेशव्यापी जनआंदोलन के दबाव में आखिरकार सरकार को यू-टर्न लेना पड़ा है। ऑल इंडिया डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्स ऑर्गनाइजेशन (एआईडीएसओ) के प्रदेश सचिव दिलीप कुमार ने प्रेस बयान जारी कर कहा कि सरकार का यह कदम शिक्षा प्रेमियों, छात्रों, अभिभावकों और शिक्षकों की संघर्षशील एकता की वजह से आया है।

प्रेस बयान में कहा गया, “यह जीत आम लोगों के आंदोलन का पहला चरण है। लेकिन हमें आगे भी सतर्क रहना होगा और स्कूल बचाओ संघर्ष समिति का गठन कर हर स्कूल को बंद होने से रोकना होगा।”बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह ने कल बताया था कि अब तक 10,684 स्कूलों का मर्जर कर दिया गया है, जिससे हज़ारों छात्रों की पढ़ाई बाधित हुई है। सरकार ने नीति में आंशिक बदलाव करते हुए 3 किलोमीटर की जगह 1 किलोमीटर दायरे के स्कूल या 50 से कम छात्र संख्या वाले स्कूल, तथा भौगोलिक परिस्थिति के अनुसार कुछ स्कूल ही मर्ज करने की बात कही है।

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एआईडीएसओ का कहना है कि यह संशोधन भी शिक्षा एवं छात्र विरोधी है, क्योंकि यह शिक्षा के अधिकार को और संकुचित करेगा।एआईडीएसओ ने सभी शिक्षा प्रेमियों से आह्वान किया कि वे आगे भी सार्वजनिक शिक्षा बचाने के लिए आंदोलन में शामिल हों। संगठन ने कहा, “नई शिक्षा नीति 2020 और क्लोजर-मर्जर पॉलिसी शिक्षा का निजीकरण, व्यापारीकरण और साम्प्रदायीकरण बढ़ा रही है, जिससे आम और गरीब बच्चों के लिए शिक्षा दूर होती जा रही है।”

एआईडीएसओ ने स्पष्ट किया है कि जब तक सरकार सभी शिक्षा और छात्र विरोधी नीतियों को रद्द नहीं करती, तब तक संघर्ष जारी रहेगा।

“हम सभी से अपील करते हैं कि सरकारी स्कूलों को बचाने और सार्वजनिक शिक्षा के संवैधानिक अधिकार की सुरक्षा के लिए एकजुट होकर संघर्ष करें।” — कार्यालय सचिव, यादवेंद्र, एआईडीएसओ, उत्तर प्रदेश

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Author: fastblitz24

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