राजधानी लखनऊ में चल रहे मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान ( SIR ) में जहां बीएलओ परेशान है, वहीं वोटर भी फॉर्म भरने के लिए भटक रहे हैं। लोगों का आरोप है कि उनके लिए सबसे बड़ी दिक्कत पुरानी मतदाता सूची तलाशाना है। किसी तरह मतदाता सूची मिल भी जाए तो सूची की गड़बड़ियां उनकी दिक्कत और बढ़ा रही है। शिकायतें है कि परिवार में किसी का नाम सूची में है, तो किसी का गायब है। नाम है तो क्रम में नहीं है। मकान नंबर किसी और का दर्ज है, उसके आगे नाम किसी और मतदाता का है। ऐसे बूथ पर वोट दिख रहा है, जहां कभी गए ही नहीं है।

अपार्टमेट में रहने वाले प्रमोद जोशी ने गणना प्रपत्र भरने के लिए 2003 की मतदाता सूची चुनाव आयोग की वेबसाइट से डाउनलोड की। दरअसल, वे पहले गोमतीनगर के पत्रकारपुरम मे रहते थे। उनका मतदान केंद्र रेड रोज स्कूल में था। उन्हें वहां की आठ सूचियां मिली, जिनमें से आठवी में पत्रकारपुरम के नाम दिखाई पड़े। इस सूची में 1219 नाम है। सूची में उन्होने पाया कि परिवार के सदस्यों के नाम क्रम से नहीं है। 30-40 मतदाताओं के नाम के आगे एक ही मकान नंबर लिखा है। वही नाम सूची में दोबारा भी दर्ज है। सूची में कुछ लोगों के नाम दो-दो बार लिखे है। एक ही नाम एक बार सही मकान संख्या और दूसरी बार गलत मकान संख्या से दर्ज है।


Author: fastblitz24



