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मुसलमान निकालते हैं होली की चौपाई, सदियों पुरानी परंपरा कायम

मुरादाबादमूंढापांडे ब्लॉक के वीरपुरवरियार उर्फ खरक गांव में होली का त्योहार सांप्रदायिक सौहार्द की अनूठी मिसाल पेश करता है। यहां मुसलमान होली की चौपाई निकालते हैं और रंग खेलते हैं। यह परंपरा सैकड़ों साल पुरानी है और आज भी कायम है।

गांव में होली की तैयारियां वसंत पंचमी से ही शुरू हो जाती हैं। होलिका दहन से सात-आठ दिन पहले गांव का माहौल बदल जाता है। गांव में होली का मेला भी पांच-छह दिन पहले शुरू हो जाता है। चौपाल हो या चौराहा, हर जगह होली की चौपाई की चर्चा होती है।

गांव के बुजुर्ग आज भी चौपाई की परंपरा को जिंदा रखे हुए हैं। वे युवा पीढ़ी को भी इस परंपरा को निभाने की सीख देते हैं। बुजुर्ग हाजी रशीद अहमद उर्फ भैया जी बताते हैं कि उनके दादा अल्लाह बख्श भी गांव में होली खेलने का जिक्र करते थे।

चौपाई में अब आधुनिकता की झलक भी दिखाई देती है। बुजुर्ग भूरे लाला, गुड्डू लाला, प्यारे लाला, बड्डे लाला, मुन्ना लाला, चंदा लाला और शौकत लाला इस परंपरा को जिंदा रखे हुए हैं। रामपुर, बरेली, मुरादाबाद और पीलीभीत से भी लोग चौपाई देखने आते हैं।

खरक गांव में होली पर नए कपड़े पहनने का भी चलन है। मुसलमान ईद के मौके पर नए कपड़े पहनते हैं, लेकिन खरक में होली पर भी नए कपड़े पहने जाते हैं। खोया, दूध के पकवान बनाकर मेहमानों का स्वागत किया जाता है

खरक की होली सांप्रदायिक एकता की मिसाल है। यहां की चौपाई और मेला देखने हिंदू-मुस्लिम दोनों आते हैं। जगरंपुरा के पूर्व प्रधान देवेंद्र सिंह, नरेश प्रताप सिंह, भानु प्रकाश यादव, भूकन सैनी और रामवतार सैनी कहते हैं कि खरक की होली सांप्रदायिक एकता की मिसाल है।

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Author: fastblitz24

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