पश्चिम बंगाल के दक्षिण 24 परगना जिले में सोमवार को वक्फ कानून के विरोध में निकाले जा रहे मार्च के दौरान इंडियन सेक्युलर फ्रंट (ISF) समर्थकों और पुलिस के बीच हिंसक झड़प हो गई। हालात बेकाबू होने पर पुलिस को बल प्रयोग करना पड़ा। इस दौरान कई पुलिसकर्मी घायल हो गए और कुछ पुलिस वाहनों को प्रदर्शनकारियों ने आग के हवाले कर दिया।
क्या है मामला?

ISF के समर्थक पार्टी नेता और भांगर विधायक नौशाद सिद्दीकी की कोलकाता के रामलीला मैदान में प्रस्तावित रैली में शामिल होने के लिए दक्षिण 24 परगना से रवाना हुए थे। लेकिन पुलिस ने भोजेरहाट इलाके के पास उन्हें रोक दिया। पुलिस का कहना है कि रैली की कोई आधिकारिक अनुमति नहीं थी। इसके बाद प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच टकराव शुरू हो गया।
कैसे भड़की हिंसा?
पुलिस द्वारा लगाए गए बैरिकेट्स को तोड़ने की कोशिश में आईएसएफ समर्थक भड़क गए। बताया जा रहा है कि मीनाखान और संदेशखाली से भी बड़ी संख्या में समर्थक इस प्रदर्शन में शामिल हुए थे। गुस्साई भीड़ ने कुछ पुलिस वाहनों को आग के हवाले कर दिया और कई सुरक्षाकर्मियों पर हमला कर दिया।
स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज किया, जिसमें कई प्रदर्शनकारी घायल हुए। एक आईएसएफ समर्थक के सिर में गंभीर चोट की खबर है। जवाब में समर्थक सड़क पर धरने पर बैठ गए, जिससे बसंती हाईवे पर भारी जाम लग गया।
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए प्रशासन ने इलाके में भारी संख्या में पुलिस बल तैनात कर दिया और आसपास के क्षेत्रों में हाई अलर्ट जारी कर दिया गया। देर शाम तक पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर कर हालात पर नियंत्रण पा लिया।
घटना के बाद राज्य की राजनीति में गर्माहट देखने को मिल रही है। आईएसएफ ने इसे “लोकतांत्रिक अधिकारों का दमन” बताया है जबकि पुलिस इसे कानून-व्यवस्था बनाए रखने की कार्रवाई कह रही है।
बंगाल में इस तरह की घटनाएं एक बार फिर यह सवाल खड़ा करती हैं कि संवेदनशील मुद्दों पर प्रशासन और प्रदर्शनकारियों के बीच संवाद की कमी से कैसे स्थिति हिंसा में बदल जाती है।

Author: fastblitz24



