लखनऊ। योगी सरकार ने मुरादाबाद दंगों की जांच रिपोर्ट 43 साल बाद मंगलवार को विधानसभा में सार्वजनिक की। रिपोर्ट में कहा गया कि इसके लिए सरकारी अधिकारी व हिंदू जिम्मेदार नहीं थे।
इन दंगों में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ या भाजपा कहीं भी सामने नहीं आई थी। आम मुसलमान भी ईदगाह उपद्रव के लिए उत्तरदायी नहीं है। मुरादाबाद दंगा डॉ शमीम अहमद के नेतृत्व वाली मुस्लिम लीग व डॉ. हामिद हुसैन के नेतृत्व वाले खाकसारों तथा समर्थकों और भाड़े के लोगों की कारगुजारी थी। यह सब पूर्व नियोजित व उनके दिमाग की उपज थी। रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि मुसलमानों को चुनाव में मतों का खजाना (वोट बैंक) समझने की प्रवृत्ति को हतोत्साहित किया जाना चाहिए। दंगों के बाद न्यायमूर्ति एमपी सक्सेना मुरादाबाद जांच आयोग के अध्यक्ष बनाए गए थे। उनके द्वारा 496 पेज की तैयार यह रिपोर्ट 29 नवंबर 1983 में सौंपी गई थीं। सीएम योगी ने सार्वजनिक करने का निर्णय लिया।
दंगों का यह कारण था
ईद के दिन जब यह अफवाह फैली कि नमाजियों के बीच प्रतिबंधित पशु धकेल दिए गए और ईदगाह में बच्चों के साथ बड़ी संख्या में मुसलमान मार दिए गए तो मुसलमान क्रोध में आपे से बाहर हो गए और उन्होंने थानों, पुलिस चौकियों और हिंदुओं पर अंधाधुंध हमला कर दिया। हिंदुओं ने भी बदला लिया। रिपोर्ट में कहा गया कि हर समाज में कुछ समाज विरोधी तत्व होते हैं और अपना पुराना द्वैष मिटाने और स्थिति को बिगाड़ने के लिए तुरंत आ जाते हैं। हालांकि मरने वालों में कई भगदड़ में मरे थे।