कामगार महिलाओं के योगदान को सामने लाईं
अमर्त्य सेन ये सम्मान पाने वाले इकलौते भारतीय
अमेरिका की क्लॉडिया गोल्डिन को अर्थशास्त्र का नोबेल प्राइज मिला है। उन्हें कामगार महिलाओं के कामकाज और अर्थव्यवस्था में उनके योगदान को बेहतर तरह से समझाने के लिए ये सम्मान दिया गया है। कमेटी ने लेबर मार्केट में गोल्डिन के रिसर्च को बेहतरीन माना है। उनकी रिसर्च में लेबर मार्केट में महिलाओं के साथ हो रहे पक्षपात और उनकी कमाई को लेकर जानकारी दी गई है।
गोल्डिन ने 200 साल के आंकड़ों का अध्ययन कर अपनी रिपोर्ट तैयार की थी। इसमें उन्होंने ये बताया कि जेंडर का रोजगार और कमाई पर क्या असर पड़ता है। गोल्डिन के रिसर्च के मुताबिक, मार्केट में महिलाओं के योगदान में सीधी बढ़ोतरी नहीं आई। इसकी जगह ये शुरुआती दौर में घटा और अब बढ़ रहा है।
समय के साथ जैसे-जैसे समाज खेती से उद्योग की तरफ बढ़ा, तो मार्केट में शादीशुदा महिलाओं के योगदान में कमी आई। गोल्डिन की स्टडी में ये भी सामने आया कि 20वीं सदी में महिलाओं ने पुरुषों से बेहतर एजुकेशन हासिल किया है।
अमर्त्य सेन को 1998 में मिला था नोबेल
अमर्त्य सेन इकलौते ऐसे भारतीय हैं, जिन्हें 1998 में इस सम्मान से नवाजा गया था। उन्हें इकोनॉमी साइंस में वेलफेयर इकोनॉमिक्स और सोशल चॉइस थ्योरी में उनके योगदान के लिए नोबेल प्राइज से नवाजा गया था।
दुनियाभर में अर्थव्यवस्थाओं के मॉर्डनाइजेशन के बावजूद महिलाओं की पुरुषों के मुकाबले कमाई काफी कम है। महिलाएं किस क्षेत्र में काम कर रही हैं, ये भी उनकी कमाई पर गहरा असर डालता है।