जांच के नाम पर कर्मचारियों का समय होता है बर्बाद
जौनपुर। कलेक्ट्रेट कचहरी और उसके आसपास साइबर कैफे के माध्यम से पड़ोसियों में दुश्मनी को बढ़ाने की और अपने लाभ की गरज से फर्जी नामों, हस्ताक्षर एवं मोबाइल नंबर को लिख कर प्रार्थना पत्र देने वालों की वर्तमान समय में भरमार हो गई है।
जिसके कारण पड़ोसियों में दशकों तक दुश्मनी का सिलसिला चलने के साथ कभी-कभी इसी कारण से एक-दूसरे पर मुकदमे तक हो जाया करते हैं। जिसकी शहर के लोगों में काफी चर्चा होने के साथ फर्जी नाम से प्रार्थना पत्र देने वालों के विरुद्ध कानूनी कार्यवाही होने की मांग भी होती रहती है।
बानगी के तौर पर देखा जाए तो लगभग 25 दिन पहले शहर के एक दैनिक समाचार पत्र के संवाददाता के नाम से पड़ोसी से दुश्मनी करवाने की गरज से एसडीएम को संबोधित प्रार्थना पत्र दिया गया था। प्रार्थना पत्र पर फर्जी नाम, मोबाइल नंबर और फर्जी हस्ताक्षर कर आईजीआरएस कर जांच करवाने के नाम पर दिया गया था। इस तरह का फर्जी प्रार्थना पत्र पहली बार नहीं दिया गया है। समय-समय पर इस तरह का घृणित कार्य करने वाले लोग सक्रिय रह कर पड़ोसियों में रंजिश करवाने और चंद रुपयों के लाभ के खातिर स्वयं प्रार्थना पत्र देने के साथ ही कुछ कलेक्ट्रेट कचहरी के विभिन्न विभाग के कर्मचारियों से सांठ-गांठ करते हुए फर्जी नामों से प्रार्थना पत्रों को देने के कार्य को करते रहते हैं ताकि जांच के नाम पर अच्छी खासी रकम भोली भाली जनता को विभिन्न प्रकार से गुमराह एवं भय दिखा कर वसूली कर ली जाए।
इस संबंध में अगर जानकारों की मानी जाए तो फर्जी नामों से प्रार्थना पत्र देने वालों पर प्रशासन कुछ हद तक अंकुश लगाने में कामयाब होना चाहता है तो प्रार्थना पत्र देने वालों से उनके आधार कार्ड की प्रति प्रार्थना पत्रों के साथ संलग्न करने के बारे में शिकायती पत्रों की जांच करने वाले विभिन्न विभाग के संबंधित कर्मचारियों के अलावा साइबर कैफे चलाने वालों को आदेशित कर दिया जाए कि जिस प्रार्थना पत्र के साथ आधार कार्ड की प्रति संलग्न नहीं है तो वह प्रार्थना पत्र पूरी तरह फर्जी माना जाएगा। ऐसा आदेश कर देने से फर्जी प्रार्थना देने वालों की अवैध कमाई के साथ भोली भाली जनता जांच के नाम पर ठगी होने से बच जाएगी और कर्मचारियों का समय भी बर्बाद नहीं होगा। जनपद के तेज तर्रार जिलाधिकारी का ध्यान इस खबर की तरफ आकृष्ट करवाया गया है ताकि समाधान शीघ्र हो।