जिसके लिए अतुल के पिता ने लगा डाली है प्रधानमंत्री तक से गुहार
• अतुल सुभाष सुसाइड मामले में बेंगलुरु पुलिस द्वारा पत्नी निकिता, निकिता की मां और उसके भाई की गिरफ्तारी के बाद मीडिया में एक नया सवाल खड़ा किया गया है कि कहां है विवाद से घिरे इस दंपत्ति का 4 साल का मासूम बेटा?
Fast Blitz – ने अपनी तहकीकात में उसकी जानकारी हासिल की लेकिन विवाद से इस मासूम को दूर रखने और उसकी निजता की रक्षा के लिए उसके नाम और स्थान का खुलासा नहीं कर रहा है.
जौनपुर । लगातार एक हफ्ते के मीडिया ट्रायल के बाद सुभाष सुसाइड मामले में बेंगलुरु पुलिस ने पत्नी निकिता, निकिता की मां और उसके भाई को गिरफ्तार कर लिया है. इसी बीच अतुल के भाई ने अपने भतीजे को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं,वही अतुल सुभाष के पिता ने अपने पोते की जीवन पर संकट बताते हुए उसकी हत्या की आशंका तक जाहिर कर दी.निकिता के ससुराल वालों ने मीडिया से उस मासूम को तलाशने की अपील भी कर डाली. जिससे यह बड़ा सवाल बन गया है कि निकिता और अतुल का बेटा आखिर है कहां?
दरअसल इसी बच्चे के भरण पोषण की जिम्मेदारी तय करने और उस खर्च की भरपाई का ही विवाद इस दंपत्ति के बीच था। लिहाजा यह बात गले नहीं उतरती कि इंजीनियर सुभाष के पिता और भाई को यह बात मालूम नहीं है कि उनका पोता अथवा भतीजा कहां है?
जानिए दरअसल बच्चा है कहां?
जौनपुर के जिस पारिवारिक न्यायालय में तथाकथित भ्रष्टाचार का आरोप सुभाष ने अपनी वीडियो में लगाया है, उसी पारिवारिक न्यायालय में भरण पोषण का एक मामला पति-पत्नी के बीच चल रहा था। पत्नी निकिता ने अपने और बच्चे के भरण पोषण , जीवन यापन एवं शिक्षा के लिए सुभाष की आमदनी में हिस्से की मांग की थी। अपनी आमदनी का विवरण और प्रमाण देने में सुभाष ने लगभग 9 महीने तक आनाकानी की। फिर अदालत ने उनके नियोक्ता से उनकी आमदनी का विवरण मांगा । तब जाकर मामला आगे बढ़ा। लेकिन नौकरी पेशा निकिता सिंघानिया के लिए अदालत ने भरण-पोषण की व्यवस्था से मना कर दिया। अदालत ने सिर्फ बेटे की भरण-पोषण और शिक्षा की जिम्मेदारी सुभाष पर डाली।
लिहाजा दिल्ली एनसीआर के एक नामी बोर्डिंग स्कूल में रह कर शिक्षा ग्रहण कर रहे उस 4 साल के मासूम का बोर्डिंग और शिक्षा खर्च के वहन का नैतिक दायित्व अतुल सुभाष पर था। सूत्र बताते हैं की लगभग एक वर्ष पहले जारी खर्च वहन करने के अदालती आदेश के बावजूद एक भी किस्त सुभाष द्वारा जारी नहीं की गई थी।
अपने वीडियो और पत्र में सुभाष ने इस बात का स्पष्ट जिक्र किया है। जिससे यह लगता है कि अदालत के आदेश पर भी वह अपने बेटे के लिए उसका खर्च नहीं देना चाहता था। उसकी यह मन: स्थिति उसके वीडियो और पत्र में स्पष्ट देखी जा सकती है। संभवत यही मन:स्थिति उसकी आत्महत्या का कारण बनी।
यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि अब उस 4 साल के मासूम बच्चे को विवाद में घसीटा जा रहा है। उसके हालात को सार्वजनिक करने की मांग की जा रही है। उसकी पहचान उजागर होने और इस विवाद में सार्वजनिक होने से उसकी निजता का वैधानिक अधिकार प्रभावित होगा। साथ ही वह विद्यालय और हास्टल में अवांछित चर्चा का केंद्र बिंदु बन जाएगा। लेकिन अब अतुल सुभाष का परिवार इस अवसर का लाभ उठाकर और मीडिया माइलेज लेकर बच्चे का संरक्षण लेने के प्रयास में है।
गौरतलब है कि यह मामला तब और गंभीर हो गया जब अतुल सुभाष ने आत्महत्या से पहले 23 पेज का सुसाइड नोट और डेढ़ घंटे का वीडियो छोड़ा, जिसमें उन्होंने अपनी पत्नी और ससुराल वालों पर प्रताड़ित करने का आरोप लगाया था। साथ ही देश के कानून में बदलाव की आवश्यकता बताई थी। ताकि भविष्य में उसके जैसे दूसरे लोग इस प्रकार की स्थिति का शिकार न हो।
बोर्डिंग स्कूल में रहकर पढ़ रहे उस मासूम की मां और उसके परिवारवालों को बेंगलुरु पुलिस ने गिरफ्तार कर अदालत के आदेश पर जेल में रखा है, ऐसी स्थिति में उसे बच्चे की खोज-खबर कौन लेगा, यह भी एक प्रश्न चिन्ह है। यह तो तय है कि अगर यह मासूम अपने पिता के परिवार वालों के साथ गया तो अपनी मां की ममता से स्थाई रूप से वंचित हो जाएगा इसलिए इस बिंदु पर भी विचार किया जाना जरूरी है।