लोको पायलट यूनियन ने छत्तीसगढ़ ट्रेन टक्कर की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट, जिसमें यात्री ट्रेन के चालक दल को दुर्घटना के लिए ज़िम्मेदार ठहराया गया है, में तथ्यात्मक त्रुटियां होने का आरोप लगाया है. मालूम हो कि मंगलवार (4 नवंबर) को स्थानीय मेमू (मेनलाइन इलेक्ट्रिक मल्टीपल यूनिट) ट्रेन छत्तीसगढ़ के बिलासपुर ज़िले में एक खड़ी मालगाड़ी से टकरा गई थी, जिसमें लोको पायलट समेत 11 लोगों की मौत हो गई थी और कई अन्य घायल हो गए थे. समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, पांच रेल विशेषज्ञों द्वारा की गई प्रारंभिक जांच में इस दुर्घटना के लिए मेमू ट्रेन के चालक दल को ज़िम्मेदार ठहराया गया है, जिसमें कहा गया है कि वे रेड सिग्नल पर ट्रेन को नियंत्रित करने में विफल रहे, जिसके चलते मालगाड़ी से टक्कर हो गई.

इसके बाद संबंधित रेलवे जोन को लिखे पत्र में ऑल इंडिया लोको रनिंग स्टाफ एसोसिएशन (एआईएलआरएसए) ने आरोप लगाया कि प्रारंभिक जांच ‘काल्पनिक विवरण’ पर आधारित थी और रिपोर्ट में गलत सिग्नल संख्याएं दर्ज की गई हैं. एआईएलआरएसए बिलासपुर के जोनल महासचिव वीके तिवारी ने दावा किया कि रिपोर्ट ‘पूर्वाग्रहपूर्ण तरीके’ से तैयार की गई है, ताकि चालक दल पर दोष मढ़ा जा सके और रेलवे प्रशासन की अन्य कमियों को छुपाया जा सके.


तिवारी ने कहा, ‘हमारा संगठन बिना किसी तथ्यात्मक जांच के रेलवे प्रशासन की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट पर गंभीर आपत्ति जताता है. यूनियन ने सिग्नल फेल होने की संभावना जताई है और कहा है कि तकनीकी खराबी के कारण मेमू चालक दल को हरी झंडी दिखाई दी होगी.
इस संबंध में एआईएलआरएसए के महासचिव अशोक कुमार राउत ने कहा, ‘हमने ट्रेन की गति का फ्लो चार्ट देखा है. इससे पता चलता है कि स्थानीय मेमू चालक दल ने एक सिग्नल 42 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से पार किया. अगर उन्होंने अगला सिग्नल लाल देखा होता, तो उन्होंने गति 42 किमी प्रति घंटे से बढ़ाकर 73 किमी प्रति घंटे क्यों की? ऐसा लगता है कि सिग्नल हरा था और इसीलिए उन्होंने गति बढ़ा दी?”
उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि जब उन्होंने आगे मालगाड़ी देखी, तो उन्होंने रोकने के लिए आपातकालीन ब्रेक लगाए, लेकिन रुकने से पहले ही मालगाड़ी से टक्कर हो गई. स्पीड फ्लो चार्ट टक्कर से पहले आपातकालीन ब्रेक लगाने को दर्शाता है. एआईएलआरएसए सदस्यों ने ज़ोर देकर कहा कि रेलवे का प्रारंभिक निष्कर्ष अंतिम नहीं है, क्योंकि यह पर्यवेक्षी अधिकारियों द्वारा दिया गया है. लोको पायलट यूनियन ने कहा, ‘जब तक रेलवे सुरक्षा आयुक्त (सीआरएस) अंतिम रिपोर्ट नहीं दे देते, किसी को भी दोषी ठहराना गलत है. सीआरएस ने अभी जांच शुरू ही की है.’
Author: fastblitz24



