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सभी धर्मों की सत्य धारा गीता का ही प्रसारण है: स्वामी अड़गड़ानंद जी महराज

 

संकल्प सवेरा,मडियाहूं जौनपुर सभी धर्मों की सत्य धारा गीता का ही प्रसारण है। आज के परिवेश में मानव का मन अशांत है तरह तरह की लहरें मन में चलती रहती हैं। चित जब स्थिर होकर एक परमात्मा में लग जाता हैतो वही चित्रकूट होता है ।संसार में ईश्वर एक है। एक परमात्मा की शरण जाओ

उक्त बातें परमहंस आश्रम शक्तेशगढ़ के संत जो विश्व गुरु की उपाधि से विभूषित है यथार्थ गीता के प्रणीता स्वामी अड़गड़ानंद महाराज जी ने आश्रम में प्रवचन के दौरान कहा। स्वामी जी ने कहा कि यह मन बड़ा चंचल है सब कुछ करना चाहता है केवल भजन नहीं करना चाहता।

 

ईश्वर ने अनमोल मानव तन प्रदान किया हैतो कुछ समय परमात्मा के लिए निकालो। परमात्मा सबके हृदय देश में निवास करता है। मन की चंचलता को रोककर निरोध कर उस परमात्मा को देखा जा सकता है ।वह सबके लिए सुलभ है। गीता में अर्जुन ने भगवान श्रीकृष्ण से प्रश्न किया की यह मन बड़ा चंचल है हठी तथा बलवान है इसे बस में करना मैं वायु के भाति दुष्कर समझता हूं तूफानी हवा और मन को रोकना बराबर है।

 

 

इस पर भगवान श्री कृष्ण ने अगले श्लोक में कहा अभ्यास और वैराग्य के द्वारा वश में होता है। चित्त को स्थिर करने के लिए बार-बार प्रयत्न का नाम ही अभ्यास है इसलिए व्यस्त जीवन में से थोड़ा सा समय निकालकर परमात्मा की भजन करें। उस ह्रदय स्थित परमात्मा की शरण में जाओ ।ओम का जाप नियमित प्रातः सायंकाल अवश्य करें कल्याण होगा। यथार्थ गीता की तीन आवृत्ति कर ले सारी शंकाएं निर्मूल हो जाएंगी।

 

पत्रकार संघ के अध्यक्ष राधा कृष्ण शर्मा एडवोकेट ने अपने मित्रों के साथ दर्शन किया एवं प्रवचन को सुना। इस मौके पर संत नारद महाराज सोहम बाबा आशीष बाबा लाले महाराज तानसेन बाबा के अलावा रवि सिंह

 

आचार्य विनय कुमार दुबे शिव शंकर यादव प्रधान ग्राम विकास अधिकारी अरुण कुमार यादव तथा पंजाब-हरियाणा बंगाल से आए हुए तमाम भक्तगण मौजूद रहे।

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Author: fastblitz24

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