जौनपुर में मकर संक्रांति के पर्व पर जहाँ किलर मांझे के विरुद्ध जागरूकता अभियान चलाया गया, वहीं “दिव्य भव्य महाकुंभ-2025” की तैयारियों का भी जायजा लिया गया।
किलर मांझे के विरुद्ध जागरूकता अभियान:
जौनपुर में मकर संक्रांति पर पतंग उड़ाने के लिए प्रयोग किए जा रहे प्रतिबंधित नायलॉन धागा, सिंथेटिक लेपन युक्त धागा, नॉन-बायोडिग्रेडेबल मांझा, प्लास्टिक धागा और तांत धागा का उपयोग न करने के लिए मुफ्तीगंज बाजार में दीवानी न्यायालय के अधिवक्ता विकास तिवारी की अगुवाई में जागरूकता अभियान चलाया गया। बाजार क्षेत्र में किलर मांझे पर प्रतिबंध के पोस्टर भी लगाए गए और लोगों से इस प्रकार के धागे का उपयोग न करने का आग्रह किया गया।
नगर भ्रमण के बाद, टीम स्थानीय पुलिस चौकी पर पहुँची और चौकी प्रभारी से बाजार में बिक रहे प्रतिबंधित धागे पर रोक लगाने की माँग की। विकास तिवारी ने बताया कि प्रतिबंध के बावजूद भी भारी संख्या में लोग इसे खरीद और बेच रहे हैं। उन्होंने प्रतिबंधित धागा बेचने और खरीदने वालों के लिए पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 की धारा 15, भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 188 और पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 की धारा 11 के तहत सजा और जुर्माने के प्रावधानों की जानकारी दी। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि पर्यावरण संरक्षण कानून की धारा-24 के अनुसार, यदि प्रतिबंधित धागे के इस्तेमाल से कोई ऐसा अपराध होता है जो दूसरे कानून के अंतर्गत दंडनीय है, तो अभियोजन को दूसरे कानून के तहत ही प्राथमिकता दी जाएगी। उन्होंने ‘नो फॉल्ट लायबिलिटी’ सिद्धांत के बारे में भी बताया और वर्ष 2017 में जस्टिस स्वतंत्र कुमार की बेंच के फैसले का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि पतंगबाज केवल कॉटन के धागे से ही पतंग उड़ा सकते हैं।
इस अवसर पर आलोक राय, करूणेन्द्र सिंह, नीरज पाठक, शुभम राय, शशिकांत प्रजापति, नवीन यादव, गोविन्द यादव, अनन्त मोदनवाल, अनिल मोदनवाल आदि उपस्थित रहे।