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भगवान भक्त के भाव के होते हैं भूखे: निर्मल शरण

श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन उमड़ी भक्तों की भीड़

जौनपुर। स्थानीय बाजार में चल रही सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन मंगलवार को श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी। अयोध्या धाम से पधारे श्रीमद्भागवत कथा वाचक निर्मल शरण जी महाराज ने प्रवचन के दौरान कहा कि भगवान अपने भक्तों के भाव के भूखे होते हैं। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने दुर्योधन के घर मेवा का त्याग कर विदुर के घर साग खाया था, वहीं श्रीराम भीलनी शबरी के जूठे बेर प्रेमपूर्वक ग्रहण किए थे।

निर्मल शरण जी महाराज ने कहा कि भगवान को भोग लगाने के लिए श्रद्धा के दो बूंद आंसू भी पर्याप्त होते हैं। उन्होंने भजन-कीर्तन के महत्व को बताते हुए कहा कि हर मनुष्य को जीवन में भजन अवश्य करना चाहिए। महाराजा परीक्षित की कथा सुनाते हुए उन्होंने बताया कि परीक्षित को जब यह ज्ञात हुआ कि उनकी मृत्यु मात्र सात दिन शेष है, तब भी वे विचलित नहीं हुए।

उन्होंने भक्तों को जीवन का महत्वपूर्ण संदेश देते हुए कहा कि पेट और जेब कभी किसी का भरता नहीं है, इसलिए थाली में उतना ही अन्न लें, जितना आवश्यकता हो, जिससे भोजन व्यर्थ न जाए। साथ ही उन्होंने आज की पीढ़ी को सीख देते हुए कहा कि गुरुजनों को दंडवत प्रणाम करने की परंपरा धीरे-धीरे समाप्त होती जा रही है, जिसे फिर से अपनाने की जरूरत है।

इस अवसर पर आचार्य पंडित राजेंद्र महाराज, मुख्य यजमान डॉ. पारसनाथ निगम, श्रीमती सिद्धा देवी, रामनाथ निगम, डॉ. अजय निगम, सुभाष उपाध्याय, गोरखनाथ निगम, जगदीश निगम, रिंकू निगम, रामबाबू निगम, अमन निगम, कृष्णा निगम, व्यापार मंडल अध्यक्ष आशीष जायसवाल, प्रधान अशोक जायसवाल, मनमोहन सेठ, हेमंत सेठ, अंकित जायसवाल, मनीष सहित सैकड़ों श्रद्धालु उपस्थित रहे।

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Author: fastblitz24

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